यशस्वी जायसवाल अब किसी पहचान के मोहताज नहीं। पिछले कुछ दिनों से लागातार दोहरा टेस्ट सतक लगाकर क्रिकेट की दुनिया में अपनी अलग छाप छोड़ने वाले खिलाड़ी यशस्वी केवल अपनी जी तोड़ मेहनत से आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। एक मीडिया को दिए इंटरव्यू में यशस्वी का कहना है कि वो अपने संघर्ष को बेहद अहम और सबसे अच्छा समय मानते हैं। उनका कहना है कि अपने अतीत को हमेशा स्वीकार करना चाहिए वही आपको आपके मुकाम तक ले जाता है।
यशस्वी की बात की जाय तो यूपी के भदोही गांव से आने वाले यशस्वी क्रिकेट के जुनून में मुम्बई शिफ्ट हुए यहां आकर जीवन आसान नहीं था यशस्वी ने खर्चा चलाने के लिए डेयरी में काम किया यहां तक कि संघर्ष के दिनो मे पानी पूरी भी बेची है।
दरअसल नेट प्रैक्टिस के दौरान कोच ज्वाला सिंह की नजर उन पर पड़ी और हीरे को चमक मिल गई। बता दें कि उस दौरान यशसवी आजाद मैदान में ही तंबू लगाकर सोते थे और लगातार प्रैक्टिस करते थे।